सुप्रीम कोर्ट ने आठ विधेयकों पर निर्णय लेने में राज्यपाल की देरी के खिलाफ केरल सरकार की याचिका पर केंद्र को नोटिस जारी किया।
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सुप्रीम कोर्ट ने सात महीने से लेकर दो साल तक की अवधि से लंबित आठ विधेयकों पर निर्णय लेने में राज्यपाल की देरी के खिलाफ केरल सरकार की याचिका पर सोमवार को केंद्र को नोटिस जारी किया। मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने इस मामले को शुक्रवार को रखा।
केरल सरकार ने यह दावा करते हुए शीर्ष अदालत का रुख किया था कि राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान विधानसभा द्वारा पारित विधेयकों पर अपनी सहमति देने में देरी कर रहे हैं, जो "लोगों के अधिकारों की हार" है।
राज्य सरकार ने तर्क दिया है कि राज्यपाल द्वारा तीन विधेयकों को दो साल से अधिक समय तक लंबित रखकर राज्य के लोगों के साथ-साथ उसके प्रतिनिधि लोकतांत्रिक संस्थानों के साथ भी गंभीर अन्याय किया जा रहा है।
इसमें कहा गया है, "ऐसा प्रतीत होता है कि राज्यपाल का मानना है कि बिलों को मंजूरी देना या अन्यथा उनसे निपटना उनके पूर्ण विवेक पर सौंपा गया मामला है, जब भी वह चाहें निर्णय लें। यह संविधान का पूर्ण तोड़फोड़ है।"
याचिका में कहा गया है कि विधेयकों को लंबे समय तक और अनिश्चित काल तक लंबित रखने का राज्यपाल का आचरण भी स्पष्ट रूप से मनमाना है और संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन है।
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