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उत्तराखंड की ऊन उद्योग को नई दिशा — वीरेंद्र दत्त सेमवाल के नेतृत्व में भेड़ एवं ऊन बोर्ड की बैठक

उत्तराखंड में भेड़पालन और ऊन उत्पादन को वैश्विक पहचान दिलाने की दिशा में आज उत्तराखंड भेड़ एवं ऊन विकास बोर्ड (USWDB) की विशेष बैठक आयोजित की गई। बैठक की अध्यक्षता हथकरघा एवं हस्तशिल्प विकास परिषद के राज्यमंत्री श्री *वीरेंद्र दत्त सेमवाल* ने की , जिसमें परिषद निदेशक श्री महावीर सजवान, बोर्ड के मुख्य अधिशासी अधिकारी डॉ. प्रलयंकर नाथ, उपनिदेशक डॉ. पूर्णिमा बनौला, डॉ. मुकेश दुकमा, पशुचिकित्साधिकारी डॉ. शिखाकृति, श्री हितेश यादव तथा अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे।

बैठक में राज्य में ऊन के उत्पादन को बढ़ाने और भेड़पालकों को उचित मूल्य सुनिश्चित करने के व्यापक पहलुओं पर चर्चा की गई। बैठक के महत्वपूर्ण निर्णय इस प्रकार हैं:

प्रमुख चर्चा बिंदु

* *आधुनिक शीयरिंग सुविधा*: जैविक व मशीन शीयरिंग केंद्र स्थापित करने की रूपरेखा तैयार की गई, जिससे ऊन की गुणवत्ता और भेड़पालकों की आय में सुधार हो सके।
* *ब्रांड "Uttarakhand Wool"*: राज्य-स्तरीय ब्रांड बनाने की परिकल्पना पर सहमति हुई, जिससे स्थानीय ऊन को राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय बाजार में पहचान मिलेगी।
* *ऑस्ट्रेलियाई मरीनो भेड़ों का आयात*: हिमालयी ऊन की गुणवत्ता को मध्य–उच्च श्रेणी तक पहुँचाने के लिए उच्च–गुणवत्ता वाले स्टॉक के आयात पर विचार हुआ।
* *जेनैटिक सुधार एवं तकनीकी सहयोग*: ICAR और CSWRI जैसे राष्ट्रीय प्रतिष्ठानों के साथ मिलकर नस्ल सुधार और तकनीकी सहायता योजनाओं को आगे बढ़ाने का निर्णय लिया गया।
* *डिजाइन सहयोग और बिक्री संवर्धन*: NIFT, SHGs एवं सहकारी समितियों के साथ डिज़ाइन आधारित उत्पादों के मार्केटिंग मॉडल पर काम शुरू करने की रणनीति बनी।
* *ई-नीलामी और मार्केट कनेक्ट*: भेड़पालकों को मंडी से सीधे एक्सपोर्ट तक जोड़ने के लिए डिजिटल प्लेटफ़ॉर्मों की रूपरेखा आधिकारिक रूप में तैयार की गई।

मुख्य उद्देश्य उत्तराखंड के भेड़पालकों को वैज्ञानिक प्रशिक्षण, गुणवत्ता नियंत्रण और विपणन सहायता देकर आत्मनिर्भर बनाना है। वर्ष 2000 में स्थापित USWDB उसी दिशा में पहला कदम था। अब राज्य सरकार संसाधनों, बजट और क्रियान्वयन कार्ययोजना के साथ इन पहलों को आगे बढ़ाने पर जोर दे रही है।
राज्यमंत्री वीरेंद्र दत्त सेमवाल ने कहा कि, हाथकरघा एवं ऊन दोनों ही हमारी सांस्कृतिक विरासत और अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं। हम ‘हर्बल ऊन’ जैसे नवाचारों के साथ वैश्विक बाजार में उत्तराखंड की पहचान मजबूत करेंगे।” 

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