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सबसे ज्यादा खतरे में राज्य की पांच हिमनद झीलें,

हिमालयी राज्यों में 188 हिमनद झीलें खतरे में हैं, जिनमें से 13 उत्तराखंड की हैं। रिस्क फैक्टर पर इन 13 झीलों को ए, बी व सी श्रेणी में बांटा गया है। उत्तराखंड की पांच हिमनद झीलें सबसे ज्यादा खतरे की जद में हैं। खतरे को देखते हुए गृह मंत्रालय के आपदा प्रबंधन विभाग ने इनका ट्रीटमेंट करने के निर्देश देते हुए वैज्ञानिकों की टीमों का गठन कर दिया है।अति संवेदनशील ए श्रेणी में चमोली की एक और पिथौरागढ़ की चार झीलें शामिल हैं। संवेदनशील बी श्रेणी में चार झीलें हैं, जिनमें चमोली की एक, टिहरी की एक और पिथौरागढ़ की दो झीलें शामिल हैं।



ए श्रेणी की पांच अतिसंवेदनशील झीलें

झील का नाम  बेसिनक्षेत्र (वर्ग किमी में)
वसुधारा ताल, चमोलीधौलीगंगा0.50
अवर्गीकृत झील,पिथौरागढ़ दर्मा0.09
मबन, पिथौरागढ़लसर यांग्ती वै  0.11
अवर्गीकृत झील, पिथौरागढ़कुथी यांग्ती वैली0.04
युंगरू पिथौरागढ़दर्मा  0.02

बी श्रेणी की चार संवेदनशील झीलें

झील का नामबेसिनक्षेत्र (वर्ग किमी में)
चमोली    विष्णुगंगा  0.03
टिहरीभिलंगना0.23
पिथौरागढ़  गोरीगंगा  0.20
पिथौरागढ़कुथी यांग्ती वैली0.02

सी श्रेणी की चार संवेदनशील झीलें

झील का नामबेसिनक्षेत्र (वर्ग किमी में)
अज्ञात झील  गंगा  17.90
अज्ञात झील  गंगा  5.60
केदारतालगंगा  12.10
देवीकुंड  गंगा  0.40

 

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