उत्तराखंड में दूर के वोट कहे जाने वाले पोस्टल बैलेट यानी डाक मतपत्र भी सियासी बाजी पलटने का माद्दा रखते हैं। हर घर फौजी वाले राज्य में 2008 का लोकसभा उपचुनाव हो या राज्य में 2022 में हुए विधानसभा चुनाव, हर बार इन पोस्टल बैलेट ने अपनी ताकत का अहसास कराया है। इस बार लोकसभा चुनाव में प्रदेश में 93,187 सर्विस मतदाता हैं, जिनके लिए ई-पोस्टल बैलेट प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। सभी राजनीतिक दलों की नजर इन पर है।
2022 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को सबसे ज्यादा पोस्टल बैलेट मत मिले। कांग्रेस दूसरे व आप तीसरे स्थान पर रही। अल्मोड़ा जैसी कई विधानसभा सीटों पर पोस्टल बैलेट के वोटों ने हार-जीत तय की। एक लाख सात हजार से ज्यादा मत पोस्टल बैलेट से पड़े थे। इनमें भाजपा को 42,593 वोट पड़े, जबकि कांग्रेस को 33,504 वोट पड़े थे ऐसे बहुत सारे लोग हैं, जिनके लिए चुनाव में वोट डालना संभव नहीं है। इनमें सबसे प्रमुख वे सैनिक हैं, जो देश की सीमा पर तैनात हैं। सैनिक अपने गृहनगर पर जाकर वोट नहीं ही दे पाते। पोस्टल बैलेट की धारणा मुख्यत: इनके लिए ही बनी है। सैनिकों के अलावा वे सरकारी कर्मचारी और पुलिस और अन्य सुरक्षाकर्मी भी होते हैं, चुनाव में ड्यूटी करते हैं। ये लोग भी अपने क्षेत्र में जा कर वोट नहीं दे पाते हैं।
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