दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी आप के संयोजक अरविंद केजरीवाल सोमवार को प्रवर्तन निदेशालय ईडी के सातवें समन में शामिल नहीं हुए, जिसमें दिल्ली उत्पाद शुल्क नीति 2021-22 में कथित अनियमितताओं से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में उनसे पूछताछ की मांग की गई थी। आप के मुताबिक, जांच एजेंसी को केजरीवाल को बार-बार समन जारी करने के बजाय कोर्ट के आदेश का इंतजार करना चाहिए।
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ईडी ने केजरीवाल को अपना नवीनतम समन जारी कर 26 फरवरी को उसके सामने पेश होने के लिए कहा, क्योंकि वह पिछले साल 2 नवंबर से लगातार पूछताछ में शामिल नहीं हो रहे थे, जब उन्हें पहली बार जांच एजेंसी के सामने पेश होने के लिए कहा गया था, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया, उन्होंने आरोप लगाया कि नोटिस "अस्पष्ट" था। दूसरा समन 18 दिसंबर को, तीसरा 3 जनवरी को, चौथा 18 जनवरी को, पांचवां समन 2 फरवरी को और छठा 19 फरवरी को जारी किया गया था। हालांकि, दिल्ली के सीएम ने सभी समन को खारिज कर दिया। उन्हें "अवैध" बताया और ईडी को पत्र लिखकर उन्हें वापस लेने की मांग की।
इस बीच जांच एजेंसी ने इस मामले में अपने समन की "अवज्ञा" करने के लिए केजरीवाल के खिलाफ शिकायत भी दर्ज की। ईडी के अनुसार, केजरीवाल के नेतृत्व वाली आप को उत्पाद शुल्क नीति को अंतिम रूप देने के लिए 100 करोड़ रुपये की रिश्वत मिली। यह भी आरोप लगाया गया कि इस पैसे का एक बड़ा हिस्सा पार्टी ने अपने गोवा चुनाव अभियान में इस्तेमाल किया था। अब तक ईडी ने मामले में AAP के शीर्ष नेताओं - पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसौदिया और राज्यसभा सांसद संजय सिंह को गिरफ्तार किया है।
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