कभी - कभी ख्याल आता हैं दिल मैं
कि काश मैं उस रास्ते पर होता
जिसके लिए मैंने बरसों से सपने सजोये हुए हैं |
रास्ते मैं मुसाफिर बहुत मिलते हैं ,
सपनों को साकार करने के लिए |
पर सपनों को साकार कराने के लिए ,
कुछ फरिस्ते ही मिलते हैं ||
कभी - कभी ख्याल आता हैं दिल मैं
कि काश मैं उस रास्ते पर होता
जिसके लिए मैंने बरसों से सपने संजोये हुए हैं |
क्या पीटीए तकदीर कब ओर किस मोड पर
खड़ा कर दे ,
तकदीर को तदवीर मैं बदलने के लिए मेहनत
करनी होती हैं , और मेहनत करने के लिए
कर्म करना होता हैं |
कभी - कभी ख्याल आता हैं दिल मैं
कि काश मैं उस रास्ते पर होता
जिसके लिए मैंने बरसों से सपने संजोये हुए हैं |
कभी कश्ती मैं सागर तो ,
कभी किनारे मैं कश्ती होती हैं |
न जाने ये ज़िंदगी भी ,
किस -किस मोड पर खड़ा करती हैं |
कभी ख्याल आता हैं दिल मैं
कि काश मैं उस रास्ते पर होता
जिसके लिए मैंने बरसों के सपने संजोये हुए हैं |
लेखिका :- पूजा पँवार रमोला
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