माफिया डॉन मुख्तार अंसारी की मौत हो गई है. उसे बांदा जेल में हार्टअटैक आया था. मुख्तार को 2005 में पहली बार जेल हुई और तब से वो बाहर नहीं आ सका. हालांकि, पंजाब से लेकर यूपी के कई जिलों की जेलों में उसका ठिकाना बदलता रहा. मुख्तार के खिलाफ बीजेपी विधायक कृष्णानंद राय की हत्या के बाद गैंगस्टर के तहत भी एक्शन लिया गया. इस केस में मुख्तार को 10 साल की सजा और 5 लाख रुपये का जुर्माना लगाया था.
साल 2005 में यूपी में दो बड़ी घटनाए हुई थीं, जिनमें मुख्तार अंसारी का नाम सामने आया पहला मामला मऊ दंगों से जुड़ा है. वहां भरत मिलाप के दौरान दंगे भड़क गए थे. दरअसल, मुख्तार का एक कथित वीडियो सामने आया था, जिसमें वो जिप्सी में अपने हथियारबंद गुर्गों के साथ दंगा प्रभावित इलाके में घूमते दिखाई दिया था. मऊ दंगे के वक्त ही मुख्तार की एके-47 के साथ खुली जीप में तस्वीर वायरल हुई थी. हालांकि उसका कहना था कि वोलोगों को समझा रहे थे. मुख्तार निर्दलीय विधायक चुने गए थे, पर सपा सरकार का बरदहस्त हासिल था. इस मामले में मुख्तार ने 25 अक्टूबर 2005 को गाजीपुर में सरेंडर कर दिया था, जिसके बाद से वो जेल में बंद है. ठीक एक महीने बाद 29 नवंबर को बीजेपी विधायक कृष्णानंद राय की हत्या कर दी गई. उनके साथ 6 लोग और मारे हमलावरों ने 400 राउंड फायरिंग की. इस हत्याकांड में भी मुख्तार को मुख्य आरोपी बनाया गया और कहा गया कि मुख्तार ने जेल में बैठे-बैठे कृष्णानंद की हत्या कर पुरानी दुश्मनी का बदला लिया है. हालांकि, सीबीआई ने मामले की जांच की और स्पेशल कोर्ट से मुख्तार बरी हो गया. कोर्ट ने गैंगस्टर मामले में दोषी पाया और 10 साल की सजा और जुर्माना सुनाया
Please do not enter any spam link in the comment box