चंडीगढ़ पीजीआई के विशेषज्ञों ने लिवर कैंसर के मरीजों के इलाज की राह को बेहद आसान और सस्ता कर दिया है। इस गंभीर मर्ज से जूझ रहे मरीजों को जान बचाने के लिए दी जाने वाली 10 लाख की विदेशी दवा को बनाने का फॉर्मूला ढूंढ लिया है। इस दवा को पीजीआई लिवर कैंसर के मरीजों को महज पांच हजार रुपये में उपलब्ध करा रहा है।पीजीआई न्यूक्लियर मेडिसिन के डॉक्टरों ने विदेशी दवा का स्वदेशी तोड़ तैयार करने में सफलता प्राप्त की है। इससे जहां एक तरफ मरीजों का इलाज सस्ता और आसान होगा, वहीं देश में पहली बार इस मर्ज के इलाज के लिए स्वदेशी दवा बनेगी। विभाग को इसके लिए पेटेंट मिल चुका है। जल्द ही ट्रांसफर ऑफ टेक्नोलॉजी की प्रक्रिया पूरी कर इस दवा को बाजार में उतारने की तैयारी की जा रही है।
लंबे समय तक रखा जा सकता है सुरक्षित
इस दवा को बनाने वाली विभाग की प्रो. जया शुक्ला ने बताया कि कनाडा से जो माइक्रोस्पेयर्स 10 लाख में उपलब्ध हो रहा है, उसे ही पीजीआई में कम खर्च में बनाया जा रहा है। प्रो. जया ने बताया कि हमारे माइक्रोस्पेयर्स की खास बात यह है कि यह तरल नहीं पाउडर फार्म में है। इसे लंबे समय तक सुरक्षित रखा जा सकता है। इसे मरीज को देने से पहले रेडियोएक्टिव किया जाता है, जबकि विदेशी दवा बनने के दौरान ही रेडियोएक्टिव कर दी जाती है। इस वजह से उसके उपयोग की समय सीमा तय हो जाती है।
लिवर की भूमिका अहम
लिवर पसलियों के ठीक नीचे, पेट के दाहिनी ओर स्थित होता है। यह पित्त और रक्त प्रोटीन का निर्माण करता है, रक्त को फिल्टर करता है, शरीर को हानिकारक रसायनों से मुक्त करता है और अन्य महत्वपूर्ण कार्य करता है। लिवर कैंसर के 2 मुख्य प्रकार हैं। प्राथमिक, जिसका अर्थ है कि कैंसर लिवर में शुरू हुआ और सेकेंडरी, जिसका अर्थ है कि कैंसर शरीर के दूसरे हिस्से से लिवर में फैल गया है।
Please do not enter any spam link in the comment box