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हल्द्वानी हिंसा के बाद से बनभूलपुरा इलाका सुनसान है, मलिक के बगीचे के चारों ओर ईंट और पत्थर, जली हुई जेसीबी और वाहन पड़े हुए है। सुनसान सड़कों पर जले हुए वाहनों के अवशेष आग की भयावहता को बता रहे हैं, सड़क पर ईंट और पत्थर, जली हुई जेसीबी और वाहन, घरों के बंद दरवाजे, इन बंद घरों की दरख्तों से झांकते बच्चे, सामान लेकर पैदल ही गलियों से निकलते लोग कुछ ऐसा नजारा है बनभूलपुरा के मलिक का बगीचा क्षेत्र का। यह बेबसी हिंसा और दहशत के मंजर को बयां कर रही है। सुनसान सड़कों पर जले हुए वाहनों के अवशेष आग की भयावहता को बता रहे हैं।
नमरा मस्जिद के पास कब्रिस्तान से लगी सड़क से होते हुए मलिक के बगीचे तक पहुंचे तो तबाही का मंजर नजर आया। हर तरफ सन्नाटा पसरा था। आधे-अधूरे ढंग से ढहाए गए अतिक्रमण के पत्थर बिखरे हुए थे। मलिक का बगीचे के पास से गोपाल मंदिर को जाने वाले रास्ते में जहां-तहां जली हुईं गाड़ियां नजर आई। अतिक्रमण तोड़ने गई तीन जेसीबी मशीनें जली हुई थीं। एक पिकअप वाहन पलटा हुआ था। उसमें भी तोड़फोड़ की गई थी। इसके पीछे खड़ा एक मालवाहक छोटा वाहन पूरी तरह से जला पड़ा था। यहां एक दुकान में आग की भयावह के निशान जरूर थे। शटर टूटा और मुड़ा हुआ था। शटर और मकान में लगी कालिख आग के निशान बता रही थी। पुलिस के बेरिकेडिंग जहां-तहां पड़े थे। कई चार पहिया और दो पहिया वाहनों का जला हुआ अवशेष पड़ा था। इससे आगे नगर निगम का ट्रैक्टर और उसके पास एक कार जली हुई थी।
ऐसा लग रहा था कि यहां कोई रहता ही न हो। कुछ घरों में लोग जरूर थे लेकिन न तो कोई बाहर निकलने की हिम्मत जुटा रहा था और न झांकने की। हालांकि कुछ घरों से छोटे बच्चे जरुर छिपछिपकर बाहर देखने की कोशिश कर रहे। एक व्यक्ति ने चलते-चलते कहा कि भाई बस यहां से निकल जाएं, तो फिर बात कर लेंगे। इसके बाद वह अपने बच्चों को भी तेजी से चलने के लिए कहकर आगे बढ़ गए।
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