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शाहजहां शेख की पहचान टीएमसी के एक ताकतवर और प्रभावशाली नेता के तौर पर है। वो संदेशखाली यूनिट का टीएमसी अध्यक्ष भी रह चुका है। पहली बार शाहजहां शेख उस समय चर्चा में आया, जब 5 जनवरी को ईडी की टीम शाहजहां से बंगाल राशन वितरण घोटाला मामले में पूछताछ करने पहुंची थी, उस समय उसके गुर्गों ने ईडी की टीम पर हमला कर दिया था। उसके बाद से ईडी लगातार पूछताछ के लिए शाहजहां शेख को समन जारी कर रही है, लेकिन ईडी टीम पर हमले के बाद से शाहजहां शेख फरार है और उसकी फरारी को 55 दिन हो चुके हैं। शेख की गिरफ्तारी की मांग को लेकर संदेशखालि के लोग लंबे समय से विरोध प्रदर्शन कर रहे थे।
ईडी की टीम पर हमला होने के बाद संदेशखाली उस समय सुर्खियों में आया, जब वहां की महिलाओं ने शाहजहां शेख पर जमीन हड़पने और उसके गुर्गों पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया। इस मामले को लेकर लेफ्ट और बीजेपी पार्टियों ने ममता सरकार के खिलाफ जमकर विरोध भी किया। संदेशखाली में धारा 144 लगाकर विपक्ष के नेताओं को वहां जाने से रोका गया, हालांकि बीजेपी के नेताओं ने बंगाल से लेकर दिल्ली तक इस मामले को उठाया और ममता सरकार पर दबाव बनाया कि संदेशखाली के सभी आरोपियों की गिरफ्तार किया जाए। हालांकि बंगाल पुलिस ने इसके गुर्गों को गिरफ्तार कर लिया था, लेकिन शाहजहां शेख अभी भी फरीर ही था। कोलकाता हाई कोर्ट ने जब शाहजहां की गिरफ्तारी का आदेश दिया तो पुलिस ने एक्शन लेते हुए देर रात गिरफ्तार किया गया।
वहीं टीएमसी के राज्यसभा सांसद साकेत गोखले ने बताया कि आज सुबह शाहजहां शेख की गिरफ्तारी हो चुकी है। जैसा कि हमारे जनरल सेक्रेटरी अभिषेक बनर्जी ने बताया था कि यह कलकत्ता हाई कोर्ट ने शाहजहां की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी थी। हमने यह भी वादा किया था कि अगर हाई कोर्ट पुलिस के हाथ खुले छोड़ दे तो शेख शाहजहां को कुछ ही दिनों में गिरफ्तार कर लिया जाएगा। 26 फरवरी को कोर्ट ने गिरफ्तारी को लेकर छूट दी थी और 72 घंटे के अंदर बंगाल पुलिस ने शाहजहां को गिरफ्तार कर लिया। हालांकि देशभर में विरोध प्रदर्शन के बावजूद मोदी सरकार ने बृजभूषण शरण सिंह को गिरफ्तार नहीं किया और उन्हें लोकसभा सदस्य के तौर पर बहाल रखा गया। ममता सरकार और मोदी सरकार में यही अंतर है।
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