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रिवर राफ्टिंग प्वाइंटों में कैमरे लगाने की योजना दो साल से चल रही: अभी तक नहीं हुआ काम, सुरक्षा पर बन रहा खतरा

गंगा रिवर राफ्टिंग रोटेशन समिति टिहरी अभी तक राफ्टिंग प्वांइटों पर सीसीटीवी कैमरे नहीं लगा सका है। कैमरे लगाने की योजना दो साल से चल रही है। 

Source:- Google Source


सीसीटीवी नहीं होने से राफ्टिंग प्वाइंटों पर पर्यटक फोटोग्राफी के लिए प्रतिबंधित गोप्रो कैमरा का प्रयोग करते हैं। वहीं, राफ्टों में ओवरलोडिंग भी की जा रही है। गंगा की लहरों के बीच गोप्रो कैमरा चलाने और ओवरलोडिंग से पर्यटकों की सुरक्षा को खतरा बना रहता है।

दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान, मुंबई आदि शहरों के पर्यटक गंगा नदी में राफ्टिंग के लिए मुनि की रेती, तपोवन, स्वर्गाश्रम, लक्ष्मणझूला, पूर्णानंद समेत विभिन्न क्षेत्रों में आते हैं।

यहां से राफ्ट व्यवसायी पर्यटकों को अपने वाहनों में बैठाकर राफ्टिंग प्वाइंट ब्रह्मपुरी, क्लब हाउस, शिवपुरी, मरीन ड्राइव आदि स्थलों की ओर ले जाते हैं। राफ्टिंग प्वाइंटों पर पर्यटक फोटाेग्राफी के लिए प्रतिबंधित गोप्रो कैमरा चलाते हैं।

राफ्टिंग प्वाइंटों की गतिविधियों की निगरानी के लिए समिति की ओर से 20 सीसीटीवी कैमरे लगाए जाने हैं। प्रस्ताव आज तक कागजों से बाहर नहीं निकल सका है। राफ्टिंग प्वाइंटों पर अक्सर पर्यटक और गाइडों के बीच गोप्रो कैमरा चलाने, ओवरलोडिंग और किराये को लेकर बहस होती है। नौबत मारपीट तक पहुंच जाती है। लेकिन सीसीटीवी कैमरे नहीं होने से पुलिस को कोई साक्ष्य नहीं मिल पाते हैं।

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