Type Here to Get Search Results !

परंपरागत फसलों के उत्पादन और खेती किसानी के तौर तरीकों में बदलाव, कम लागत में ज्यादा मुनाफा

Source:- Google Source

उत्तराखंड में परंपरागत फसलों के उत्पादन और खेती किसानी के तौर तरीकों में बदलाव आया है। कम लागत में ज्यादा मुनाफा देने वाली नकदी फसलों की तरफ नई पीढ़ी का लगाव बढ़ रहा है। पढ़े लिखे युवा भी खेती किसानी को आजीविका का साधन बना रहे हैं।

कृषि एवं बागवानी आधारित उत्पादों की मार्केटिंग में प्रदेश के कई स्टार्टअप काम कर रहे हैं। प्रदेश में कुल कृषि क्षेत्रफल 6.41 लाख हेक्टेयर है। इसमें 3.28 लाख हेक्टेयर पर्वतीय और 2.93 लाख हेक्टेयर मैदानी क्षेत्र में आता है। राज्य गठन से पहले पर्वतीय भू-भाग वाले उत्तराखंड में किसान परंपरागत मोटे अनाजों की खेती करते थे।

पहाड़ों में बिखरी कृषि जोत होने से खेती पर लागत अधिक होने, जंगली जानवरों और बदंरों की समस्या, सिंचाई का अभाव समेत किसानों को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता था। यही वजह है कि राज्य गठन के बाद प्रदेश में कृषि क्षेत्रफल में कमी आई है। खेती किसानी में मुनाफा कम होने से किसान खेती छोड़ कर पलायन करने लगे। खेती किसानी एक ऐसा व्यवसाय है, जिसे कम बजट में शुरू किया जा सकता है। जैविक खेती के अलावा एरोमा क्षेत्र में कई युवा काम कर रहे हैं। फूड प्रोसेसिंग में कई स्टार्टअप ने बिजनेस शुरू किया है। जैविक उत्पादों और मोटे अनाजों की आज वैश्विक स्तर पर मांग रही है |

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.