जीत के लिए जहां प्रत्याशी जीतोड़ मेहनत कर रहे हैं, वहीं एनएसयूआई में अंदरखाने सब कुछ ठीक नहीं दिख रहा है. प्रदेश के बड़े कॉलेज की बात करे तो कई जगह ऐसे हैं जहां एनएसयूआई को प्रत्याशी ढूंढे नहीं मिले. एमकेपी पीजी कॉलेज में भी यही स्थिति रही जहां एनएसयूआई को अध्यक्ष पद पर ही प्रत्याशी के लिए संघर्ष करना पड़ा, वहीं डीएवी पीजी कॉलेज में महासचिव के पद पर 24 साल बाद एबीवीपी ने अपना प्रत्याशी उतारा तो वो निर्विरोध निर्वाचित हो गया.
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सबसे खास बात यह कि महासचिव पद पर निर्विरोध जीते सुमित कुमार अध्यक्ष पद पर पिछले 8 साल से तैयारी कर रहे थे, जिसका अध्यक्ष का टिकट कटने पर एबीवीपी ने महासचिव पद पर टिकट दिया. इस पोस्ट पर सत्यम छात्र संगठन का कब्जा रहा है. सत्यम ग्रुप से महासचिव प्रत्याशी ने आखिरी समय में अपना नामांकन वापस लिया और गजब तब हुआ जब वो एबीवीपी में शामिल हो गए. एबीवीपी का कहना है कि 24 साल बाद प्रत्याशी उतारा और वो भी महासचिव चुन लिया गया.
स्पष्ट है कि छात्र संघ चुनाव के रंग दिनों दिन खास होते जा रहे हैं. इस बार छात्रसंघ चुनाव के इतिहास में पहली बार है जब एक साथ प्रदेश के सभी कॉलेज में एक ही दिन चुनाव हो रहे हैं और इस पर सबकी नजर है. पॉलिटिकल पार्टीज की भी चुनाव पर सीधी नजर रहती है, ऐसे में एनएसयूआई को कैंडिडेट न मिल पाना अंदरखाने सबकुछ ठीक नहीं होने के संकेत है.
इसके साथ ही एनएसयूआई की एक बात यह भी साफ दिख रही है कि भीतरखाने आपसी रार है और वह साफ-साफ दिख भी रही है. एनएसयूआई की तरफ से डीएवी में सिद्धार्थ का टिकट कटा तो वो आर्यन ग्रुप में शामिल हो गए, यानी 7 नवंबर तारीख से पहले कई दिलचस्प रंग अभी और छात्रसंघ चुनाव में देखने को मिल सकते हैं.
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